एक मां के प्राण उसके बच्चों में बसते हैं। उनके बिना वह अधूरी है। ठीक उसी तरह भगवान के लिए उनके
एक मां के प्राण उसके बच्चों में बसते हैं। उनके बिना वह अधूरी है। ठीक उसी तरह भगवान के लिए उनके
भक्त हैं, जिसके बिना वे अधूरे हैं।
बच्चे यदि पल भर के लिए भी मां से जुदा हो जाते हैं, तो वह व्याकुल हो जाती है। बच्चे पर थोडा सा कष्ट भी
उनके लिए चिंता का कारण बन जाता है।
बच्चा खेल-खेल में भले ही मां को भूल जाए, मां उसकी पल-पल की सुध लेती रहती है। भगवान भी अपने
सच्चे भक्त को एक पल के लिए भी नहीं भूलते हैं।
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