Wednesday, February 8, 2012

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shree radhe..........




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Yadhuvansi(यदुवंशी): Photo gallery

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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे || हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे || हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे || हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे || हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे || हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे || हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे || हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे || हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||




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राधा ऐसी भयी श्याम की दीवानी,
की बृज की कहानी हो गयी
एक भोली भाली गौण की ग्वालीन ,
तो पंडितों की वानी हो गई

राधा न होती तो वृन्दावन भी न होता
कान्हा तो होते बंसी भी होती,
बंसी मैं प्राण न होते
प्रेम की भाषा जानता न कोई

कनैया को योगी मानता न कोई
बीन परिणय के देख प्रेम की पुजारीन
कान्हा की पटरानी हो गयी

राधा ऐसी भाई श्याम की

राधा की पायल न बजती तो मोहन ऐसा न रास रचाते
नीन्दीयाँ चुराकर , मधुवन बुलाकर
अंगुली पे कीसको नचाते
क्या ऐसी कुश्बू चन्दन मैं होती
क्या ऐसी मीश्री माखन मैं होती
थोडा सा माखन खिलाकर वोह ग्वालिन
अन्नपुर्ना सी दानी हो गयी
राधा ऐसी भाई श्याम की……….

राधा न होती तो कुंज गली भी
ऐसी निराली न होती
राधा के नैना न रोते तो
जमुना ऐसी काली न होती
सावन तो होता जुले न होते
राधा के संग नटवर जुले ना होते
सारा जीवन लूटन के वोह भीखारन
धनिकों की राजधानी हो गयी
राधा ऐसी भाई श्याम की……….




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कृष्णा जिनका नाम है, गोकुल जिनका धाम है 
ऐसे श्री भगवान को बारम्बार प्रणाम है ।।

यशोदा जिनकी मइया है नन्द जी जिनके बप्इया है 
ऐसे श्री गोपाल को बारम्बार प्रणाम है ।।

लूट-लूट दही माखन खायो, ग्वाल-वाल संग धेनू चरायो
ऐसे लीलाधाम को बारम्बार प्रणाम है ।।

द्रुपद सुता को लाज बचायो, ग्रहेस गजको पन्ड छुड़ायो
ऐसे कृपाधाम को बारम्बार प्रणाम है ।।




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रे मनवा प्रेम जगत का सार
प्रेम पुजारिन राधे रानी, कृष्ण प्रेम अवतार

प्रेम की मुरली, प्रेम की जमुना,
प्रेम ही राधे, प्रेम ही कृष्णा।
एक दूजे के है अनुरागी,
... सब में जगायें प्रेम की तृष्णा
प्रेम में डूबे प्राण करत हैं
प्रेम की जय जयकार...............मनवा प्रेम जगत का सार

प्रेम डगर पर चलते चलते,
भक्ति की पावन नदिया आये
भक्ति की नदिया बहते-बहते
प्रेम के सागर में मिल जाये

भक्ति के दोनो ओर प्रेम है,
भक्त खडे मझधार मनवा प्रेम जगत का सार




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