Friday, March 1, 2013

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यादव
यदुवंश का इतिहास जानने के लिए सृष्टि रचना, मनुष्य की उत्पत्ति, सामाजिक संरचना, राजवंशों का उद्भव आदि से अवगत होना आवश्यक है. सृष्टि उत्पत्ति के बारे में मूलतः दो मान्यताएं है, पहला धार्मिक और दूसरा वैज्ञानिक. यहाँ धार्मिक मान्यतायों के आधार पर सरल एवं संक्षिप्त संकलन का प्रयास किया गया है.
पुराण आदि धार्मिक ग्रंथों से पता चलता है कि सृष्टि रचना से पूर्व केवल स्वयंभू नारायण, पूर्ण परमात्मा, पूर्ण ब्रह्म परमेश्वर ही थे. भगवन नारायण ने सृष्टि उत्पत्ति कि इच्छा से सबसे पहले जल उत्पन्न किया. जल में अपनी शक्ति का आधान किया. जल में पड़कर वीर्य सहस्त्रों सूर्य के समान देदीप्यमान एक विशाल सुवर्णमय अंडे के रूप में प्रकट हुआ. वह दीर्घकाल तक जल में स्थित था. उसी अंडे से ब्रह्मा जी उत्पन्न हुए. अन्य कई पुत्रो के अलावां ब्रह्मा जी की आँख से अत्री उत्पन्न हुए. अत्री से चंद्रमा उत्पन्न हुए. चंद्रमा और तारा से बुध पैदा हुए. यहाँ से चन्द्र वंश चला. बुध और उनकी पत्नी इला से पुरुरवा उत्पन्न हुए. पुरुवा और उनकी पत्नी उर्वशी से आयु पैदा हुए. आयु और उनकी पत्नी प्रभा से नहुष पैदा हुए. नहुष और उनकी पत्नी विरजा से ययाति उत्पन्न हुए. ययाति और उनकी पत्नी देवयानी से यदु हुए. यदु के बाद यदुवंश अर्थात यादव वंश चला. यदुवंश में यदु की कई पीढ़ियों के बाद वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से सोलह कला संपन्न पूर्ण ब्रह्म यदुकुल शिरोमणी श्रीकृष्ण अवतरित हुए.

जय श्री कृष्णा




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