Saturday, February 18, 2012

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श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः 

हे कृष्ण करुणासिन्धो दीनबन्धो जगत्पते।
गोपेश गोपिकाकान्त राधाकान्त नमोअस्तु ते ॥
अर्थ:-
हे कृष्ण! आप दुखियो के सखा तथा सृष्टि के उद्गम है।
आप गोपियो के स्वमी तथा राधा रानी के प्रेमी है।
मै आपको सादर प्रणाम करता हू।

तप्तकाञ्चनगौराङ्गी राधे व्रिन्दावनेश्वरि ।
वृषभानुसुते देवि प्रणमामि हरिप्रिये॥
अर्थ:
मै उन राधारानी को प्रणाम करता हू जिनकी शारीरिक कान्ति पिघले सोने के सदृश है,
जो वृन्दावन कि महारानी है। आप वृषभानु की पुत्री है और भगवान कृष्ण को अत्यन्त प्रिय हैं।




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